AI मानव जाति के लिए एक श्राप है या फिर वरदान

AI का अर्थ है artificial intelligence मतलब एक कृत्रिम दिमाग। दुनिया आज विकास के मामले में, एक बे लगाम घोड़े की तरह होती जा रही है जिसकी लगाम कोई नही खींचना चाहता, मेरी माने तो खींचनी भी नहीं चाहिए। विकास किसे नहीं पसन्द, विकास होते रहना चाहिए परन्तु विकास का अर्थ तभी सार्थक है जब यह विकास पूरी मानव जाति के साथ हो परन्तु ऐसा नही हो रहा है। विकास बस कुछ पतियों तक ही सिमट कर रह गया है। किसी का पूँजीपती होना कोई श्राप नहीं, पर भारत जैसे देश के लिए पूँजीपती एक श्राप बनते जा रहे हैं क्योंकि आज भारत को और भारत सरकार को, सरकार की ही मदद से कुछ पूँजीपती Control कर रहे हैं। यदि ऐसे ही हालात रहे तो वो दिन दूर नही है जब यही कुछ पूँजीपती देश को चलाएंगे भी और तब भारत का इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ और नहीं होगा। इस विषय पर हम किसी और दिन विस्तार से चर्चा करेंगें।
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AI मानव जाति के लिए एक श्राप है या फिर वरदान

क्या AI मानव जाति के लिए एक श्राप है या फिर वरदान आइए जानते हैं?

AI का अर्थ है artificial intelligence मतलब एक कृत्रिम दिमाग। दुनिया आज विकास के मामले में, एक बे लगाम घोड़े की तरह होती जा रही है जिसकी लगाम कोई नही खींचना चाहता, मेरी माने तो खींचनी भी नहीं चाहिए। विकास किसे नहीं पसन्द, विकास होते रहना चाहिए परन्तु विकास का अर्थ तभी सार्थक है जब यह विकास पूरी मानव जाति के साथ हो परन्तु ऐसा नही हो रहा है। विकास बस कुछ पूँजीपतियों तक ही सिमट कर रह गया है। किसी का पूँजीपती होना कोई श्राप नहीं, पर भारत जैसे देश के लिए पूँजीपती एक श्राप बनते जा रहे हैं क्योंकि आज भारत को और भारत सरकार को, सरकार की ही मदद से कुछ पूँजीपती Control कर रहे हैं। यदि ऐसे ही हालात रहे तो वो दिन दूर नही है, जब यही कुछ पूँजीपती देश को चलाएंगे भी और तब भारत का इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ और नहीं होगा। इस विषय पर हम किसी और दिन विस्तार से चर्चा करेंगें।

आज हम बस ये जानेंगे की AI भारत के लिए श्राप है या फिर वरदान

AI ये दिखाती है कि आज पूरी मानव जाति किस तेजी के साथ विकास की रफ्तार में दौड़ रही है। AI के माध्यम से कठिन से कठिन काम भी मिनटों में करना संभव हो पाया है। सीधे अर्थों में ये कहा जा सकता है कि यदि किसी काम को चार आदमी महीनों में करते हैं। तो उसी काम को AI चंद घंटों में करने में सक्षम है और ऐसा कर पाना एक उपलब्धि से कम नहीं है, पर मेरी चिन्ता इसके वरदान से नहीं है। बल्कि इसके अभिशाप से है। जिसका असर हमें आने वाले कुछ महीनों में दिखने लगेगा।
आज भारत जैसे देश की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है और सरकार इस विषय पर कुछ करना तो दूर सोचना भी नहीं चाहती। बात यहां खत्म हो जाती तो ठीक था। बात इससे भी ज्यादा बड़ी है। देश में युवा बेरोजगारों की संख्या इतनी ज्यादा है कि सरकार ने अगर इस मामले में जल्द कुछ नहीं सोचा तो आने वाले समय में ये बेरोजगार युवा Nuclear Weapons से कम नहीं होंगे।
AI मनुष्यों को सुविधा तो जरूर पहुंचाएगी परंतु वो दिन दूर नहीं है। जब बड़ी से बड़ी तथा छोटी से छोटी कम्पनियों को AI से Control किया जाने लगेगा। अर्थात जिसका सीधा सा अर्थ है कि आने वाले समय में बेरोजगारों की संख्या तथा बेरोजगारी बढ़ने वाली है। इसका सबसे ज्यादा असर आई०टी० तथा आई०टी० से जुड़े क्षेत्रों में देखने को मिलेगा। सही मायने में AI का लाभ तो पूँजीपती ही उठाएंगे और उठाए भी क्यूं ना AI कम समय में तथा कम Man Power में भी सटीक काम करने में सक्षम होगा। जिसका असर बेरोजगारी पर पड़ेगा पर, हमेशा की तरह बेरोजगारी पर सरकार की कोई जवाब देही नहीं रहेगी। क्योंकि इन्ही कम्पनियों से सरकार को अच्छी खासी रकम प्राप्त होती है। तो सरकार को क्या फर्क पड़ता है देश की जनता से, उन्हें तो बस अपनी जेबें भरने से मतलब है। भारत की सरकार हमेशा से तो यही करती आ रही है।
ये कम्पनियां अपने Man Power को नाम मात्र salary पर जितना भी शोषण कर ले। सरकार इसपे बोलना तो दूर सोचना भी नहीं चाहती। क्योंकि सरकार भी इस घोटाले में मिली होती है। क्योंकि Election के समय सरकार को प्रचार प्रसार के लिए इन्ही कंपनियों से अच्छा खासा फंड मिलता है। हम ऐसा कह सकते हैं कि ये Black Money होता है, जो हमारे श्रम का ही हिस्सा होता है। जिसे कंपनियां हम से चुराती हैं और उसी हिस्से का कुछ हिस्सा सरकार को दे देतीं हैं। ताकि सरकार उनके घोटालों में चुप्पी बनाए रखे।
हमें लगता है कि सरकार बेरोजगारी पर कुछ नहीं कर सकती पर यकीन मानिए बहुत सारे ऐसे रास्ते हैं। जिससे बेरोजगारी नियंत्रण में लाई जा सकती है। बस हमें ये समझना होगा। इसलिए तो सरकारें चाहती है कि देश का युवा अनपढ़ रहे और उनसे कोई सवाल ना पूछे, नहीं तो शिक्षा पर इतना Tax नही लगा होता। कॉलेजों में लाखों की फीस नहीं वसूली जाती। क्योंकि सरकार जानती है कि इण्टर कॉलेज पूरा होने के बाद युवाओं की असली समझ बाहर आती है। असल में तो समाज को पढ़ने का सही समय तो इण्टर कॉलेज पूरा होने के बाद ही शुरू होता है। लेकिन हम इसे भारत का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि गरीबी और महंगी शिक्षा होने के कारण 70% छात्र शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। जिससे उनकी बौद्धिक क्षमता का विकास नहीं हो पाता और वे सरकार की ऐसी कूटनीति को समझ पाने में विफल हो जाते हैं।
असल में भारत के युवाओं को अपने अधिकारों का बोध ही नहीं, वे तो सरकारों की गुमराह कर देनी वाली बातों में आ जाते हैं। भारत के युवाओं का हाल उस शिशु की तरह है। जिसके रोने पर यदि उसे कोई खिलौना पकड़ा दिया जाता है, तो वह चुप हो जाता है। लेकिन भारत के युवाओं को अब जागना होगा अपनी समझ का दायरा बढ़ाना होगा। सवाल पूछना और अपने अधिकारों को मांगना होगा क्यूंकि अपना अधिकार मांगना कोई गलत बात नहीं।
यदि किसी ऐसी Technology में 2% लोगों का लाभ हो और 98% लोग उससे आहत होते हैं तो ऐसी Technology का दूर ही रहना ठीक होगा। AI जैसी Technology का उपयोग उन देशों के लिए ठीक होगा जहां पर बेरोजगारी जैसी कोई गम्भीर समस्याएं ना हो। जहाँ पर इस Technology का लाभ प्रत्येक मनुष्य उठा सकें। क्यूंकि यदि विकास का असर केवल अमीरों तक ही सीमित हो तो इसे विकास नहीं कहेंगे। विकास में तो सब का साथ होना चाहिए। इस बात को तो हमारी सरकारें भी मानती है। तभी तो उनका अपना एक श्लोगन है सब का साथ सब का विकास पर वास्तव में ये श्लोगन तो बच्चों को खुश करने के लिए दिया गया है। असल में तो श्लोगन का अर्थ ऐसा है, कुबेरों का साथ बस कुबेरों का ही विकास।


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लेखक :- शुभम कुमार यादव




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